Monday, March 21, 2011

jo jaayega sab hote hote...

बोतल खोलो मय सजाओ,पैमाना भरो, होठों से लगाओ
अजी सुकून रखिये,हो जायेंगे बाकी के भी काम होते होते

हाँ ये तो है की नहीं पीता था मैं रौशनी-ऐ-अब्र में मगर
ज़िन्दगी में हुई है जो,फलक पे भी हो जायेगी शाम होते होते
[roshni-e-abr= light of cloud/sky,falak= sky]

छेड़ो न हमें अभी मसरूफ हैं हम सबको आदाब कहने में
मिलेगी फुर्सत हो जायेगी खुद से भी दुआ-सलाम होते होते
[masroof= busy]

हुआ इश्क तो बिक गया सारा जिस्म इस दिल-ए-नाकारा के सिवा
जाएगा इश्क तो हो जायेंगे इस दिल के भी दाम होते होते
[dil-e-naakara= useless heart]

खेले है जुआ, पीये है शराब, गोया तू ग़ालिब तो नहीं
भरम है किसी की बज़्म का हो जाएगा तेरा भी कलाम होते होते
[bazm= gathering Kalaam= composition]

बस उठा कलम और लिखता जा हाल-ऐ-दिल "मकोल"
खुदा ने चाहा तो हो जाएगा तेरा भी नाम होते होते

Gaurav Makol
March 2011

6 Comments:

Blogger Kailash Sharma said...

This comment has been removed by the author.

12:55 AM  
Blogger Kailash Sharma said...

हाँ ये तो है की नहीं पीता था मैं रौशनी-ऐ-अब्र में मगर
ज़िन्दगी में हुई है जो,फलक पे भी हो जायेगी शाम होते होते...

सुन्दर भावपूर्ण रचना...अच्छा लिखते हैं..शुभकामनायें!

12:57 AM  
Blogger Unknown said...

Bahut Shukriya Kaliash ji..
Hausla Afzayi ke liye bahut Shukriya...

3:44 AM  
Blogger alok dixit said...

हाँ ये तो है की नहीं पीता था मैं रौशनी-ऐ-अब्र में मगर
ज़िन्दगी में हुई है जो,फलक पे भी हो जायेगी शाम होते होते

...अच्छा पंच है महोदय

12:08 AM  
Blogger संजय भास्‍कर said...

truly brilliant..
keep writing..all the best

11:42 PM  
Blogger संजय भास्‍कर said...

नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !
माँ दुर्गा आपकी सभी मंगल कामनाएं पूर्ण करें

11:43 PM  

Post a Comment

<< Home